भारत में जल प्रचुर मात्रा में है इसके बावजूद कई राज्य पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहे| भारत में 1150 मिलीमीटर वार्षिक वर्षा होती है| जबकि विश्व का औसत 840 मिली मीटर का है| और इजरायल का तो केवल 400 मिलीमीटर वार्षिक वर्षा होती है| इसके बावजूद इजरायल ने सफलतापूर्वक पानी का प्रबंधन किया है|
इसलिए जल की पहली प्राथमिकता उसकी उपयोग में है|
कुशल जल की मानक परिभाषा के अनुसार
कुशल जल का प्रभाव
– 1000 घन मीटर व्यक्ति/प्रति वर्ष से 1700 घन मीटर व्यक्ति/प्रति वर्ष पानी की उपलब्धता से स्थानीय कमी|
– 1000 घन मीटर/प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष से नीचे पर जल आपूर्ति स्वास्थ्य, आर्थिक विकास और मानव कल्याण को बाधित करती हैं| क्योंकि
– 500 घन मीटर प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष से कम पानी की आपूर्ति जीवन के लिए बाधक होती है|
ऐसा होने पर देश को पानी की अत्यंत कमी को झेलना पड़ सकता है|
और जल की कुशलता पर एक प्रश्न चिन्ह खड़ा हो सकता है|
जल संसाधन
एकत्रित जल संसाधन विकास योजना के लिए राष्ट्रीय आयोग-
– सन 1999 में 19 करोड़ हेक्टेयर मीटर जल संसाधन का आकलन किया था|
राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी द्वारा प्रस्तावित अंतर बेसिन हस्तांतरण में 250 लाख हेक्टेयर मीटर पानी अतिरिक्त उपयोग की परिकल्पना की गई|
एक लेख में यह पता चलता है कि-
विश्व भर में 45000 बांध है|
जिसमें से 46% चीन और अमेरिका में 14% इसके विपरीत भारत में केवल 9% ही बांध हैं| जबकि जापान में 6% तथा स्पेन में 3% है|
भारत की जनसंख्या को देखते हुए जल भंडारे की क्षमता बहुत कम है |
इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए हमें नई सिंचाई रणनीतियों को अपनाना होगा|
-धान की खेती में 40 से 50% पानी को बचाना
-साथ ही साथ पैदावार को तीन से चार हेक्टेयर टन तक बढ़ाने के लिए SRI की प्रणाली को आना चाहिए|
विशेष रुप से नहर सिंचाई में जल निकासी हो|
-उपयुक्त हो तो सिंचाई का उपयोग के लिए लाया जा सकता है| सतही भूमिगत जल का संयुक्त उपयोग|
Nyc 1
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