कुशल जल की प्राथमिकता क्या है 2021

भारत में जल प्रचुर मात्रा में है इसके बावजूद कई राज्य पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहेभारत में  1150 मिलीमीटर वार्षिक वर्षा होती है| जबकि विश्व का औसत 840 मिली मीटर का है| और इजरायल का तो केवल  400 मिलीमीटर वार्षिक वर्षा होती है| इसके बावजूद इजरायल ने सफलतापूर्वक पानी का प्रबंधन किया है|

इसलिए जल की पहली प्राथमिकता उसकी उपयोग में है|

 

 

कुशल जल की मानक परिभाषा के अनुसार      

कुशल जल का प्रभाव

– 1000 घन मीटर व्यक्ति/प्रति वर्ष से 1700 घन मीटर व्यक्ति/प्रति वर्ष पानी की उपलब्धता से स्थानीय कमी|

– 1000 घन मीटर/प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष से नीचे पर जल आपूर्ति स्वास्थ्य, आर्थिक विकास और मानव कल्याण को बाधित करती हैं| क्योंकि

– 500 घन मीटर प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष से कम पानी की आपूर्ति जीवन के लिए बाधक होती है

 ऐसा होने पर देश को पानी की अत्यंत कमी को झेलना पड़ सकता है

  और जल की कुशलता पर एक प्रश्न चिन्ह खड़ा हो सकता है|

 

जल संसाधन

एकत्रित जल संसाधन विकास योजना के लिए राष्ट्रीय आयोग-

– सन 1999 में 19 करोड़ हेक्टेयर मीटर जल संसाधन का आकलन किया था

राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी द्वारा प्रस्तावित अंतर बेसिन हस्तांतरण में 250 लाख हेक्टेयर मीटर पानी अतिरिक्त उपयोग की परिकल्पना की गई|

एक लेख में यह पता चलता है कि-

 विश्व भर में 45000 बांध है|

जिसमें से 46% चीन और अमेरिका में 14% इसके विपरीत भारत में केवल 9% ही बांध हैं| जबकि जापान में 6% तथा स्पेन में 3% है|

भारत की जनसंख्या को देखते हुए जल भंडारे की क्षमता बहुत कम है |

इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए हमें नई सिंचाई रणनीतियों को अपनाना होगा|

-धान की खेती में 40 से 50% पानी को बचाना

-साथ ही साथ पैदावार को तीन से चार हेक्टेयर टन  तक बढ़ाने के लिए SRI  की प्रणाली को आना चाहिए|

विशेष रुप से नहर सिंचाई में जल निकासी हो|

-उपयुक्त हो तो सिंचाई का उपयोग के लिए लाया जा सकता हैसतही भूमिगत जल का संयुक्त उपयोग|

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