मनुष्य को जीने के लिए संभवत में बहुत सी वस्तुओं की आवश्यकता होती है| परंतु जल तथा वायु इनमें से अत्यंत आवश्यक विषय वस्तु है जब इसी जल तथा वायु में जो परिवर्तन होने लगते हैं तथा उनका प्रभाव मनुष्य के जीवन पर पड़ता है|तो इस परिवर्तन को ही जलवायु परिवर्तन कह सकते हैं| मनुष्य ही नहीं अपितु धरती पर रहने वाले सभी जीव जंतु और उसका प्रभाव पड़ता है उनकी जीवनशैली में परिवर्तन आना ही जलवायु परिवर्तन को दर्शाता है|
वस्तुत जलवायु परिवर्तन वर्षा में वृद्धि भूस्खलन जैसी आपदाओं का स्रोत है|

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
हम जानते हैं कि विश्व की जनसंख्या के आधार पर हम दूसरे स्थान पर हैं| इस संदर्भ में जलवायु में होने वाली मूलभूत परिवर्तन का भी हम पर अधिक प्रभाव पड़ेगा|
इस प्रभाव के कारण वर्षा में वृद्धि होगी तथा बाढ़ भूस्खलन जैसी आपदाओं में वृद्धि होगी और जल की गुणवत्ता में भी कमी आएगी|
जिसके परिणाम स्वरूप बीमारियों का प्रकोप बढ़ेगा इसके साथ साथ हमें यह जानने की जरूरत है |
हम स्वास्थ्य सुविधाओं में कहां पर खड़े हैं|
जिसके कारण प्रति व्यक्ति की आर्थिक खर्च बहुत ज्यादा हो जाए और समय-समय पर आने वाली नई नई बीमारियों से हमारी अर्थव्यवस्था इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा
जिससे हमारी विकास दर रफ्तार कम होने की संभावना हो सकती है|
जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण विश्व महामारी कोरोनावायरस है|
भारत के प्रयास
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जहां विश्व भर का एक सम्मेलन पेरिस में हुआ था|
जिसका उद्देश्य पृथ्वी के तापमान को काम करना था तथा ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन में कमी करना|
आइए जानते हैं कि भारत में इस परिपेक्ष में क्या-क्या कदम उठाएं
सौर उपकरण विनिर्माण 2022 तक का लक्ष्य रखा है|
इसके साथ भारत 2030 तक कुल बिजली स्थापित करने की क्षमता को 40% गैर जीवाश्म ईंधन पर आधारित होगा|
यूएन द्वारा प्रकाशित एमिशन गैप रिपोर्ट के अनुसार :-
तापमान वृद्धि जारी रहा तो सदी के अंत तक 2.3 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हो सकती है|
इस बात को ध्यान में रखते हुए भारत द्वारा उठाए गए कदम सराहनीय है|
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