पेयजल ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्धता का ध्यान करें तो जल की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है जिसकी वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर इसका काफी प्रभाव पड़ रहा है|

पेयजल की स्थिति
नीति आयोग के अनुसार भारत में विश्व की 17% जनसंख्या रहती है जबकि इसके पास शुद्ध पेयजल की मात्रा 4% ही है किसी भी देश में अगर प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 1700 क्यूबिक मीटर से नीचे जाने लगे तो उज्जल संकट चेतावनी के रूप में लेते हैं परंतु 1000 क्यूबिक मीटर सी नीचे चला जाए तो जल संकटग्रस्त माना जाता है भारत में फिलहाल 1544 क्यूबिक मीटर है जिसे चेतावनी के रूप में लिया जा सकता है इस स्थिति को देखते हुए हमें जल संसाधन को और प्रगाढ़ बनाने की जरूरत है
पेयजल प्रयास में लोगों की सहभागिता
पेयजल शुद्धता तथा उसकी संवर्धन के लिए लोगों की सहभागिता अनिवार्य है क्योंकि यह देखा गया है कि स्थानीय लोग में खासकर महिलाओं की सहभागिता का ज्यादा महत्व है| इसके लिए गांव के प्रधान या वहां के जनप्रतिनिधि इसके प्रति अपनी निष्ठा को अगर बढ़ाएं उदाहरण के लिए कुछ समय पहले प्रत्येक सांसद को गांव को गोद लेने का अभियान चला था जिससे वह गांव की स्थिति को सुधार सकें|
पेयजल में सरकार की सहभागिता
स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना सरकार का प्रथम उद्देश्य है हम जानते हैं कि स्वास्थ्य को ठीक रखना है तो जल की स्थिति को ही ठीक करना होगा इसलिए कहते हैं कि स्वच्छ जल होगा तो मनुष्य स्वस्थ होगा, स्वस्थ होगा तो सरकार का स्वास्थ्य पर खर्च कम होगा खर्च कम होगा तो देश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत की गई जिसका उद्देश्य भागीदारी बनाकर जीवन बदलना है इसके अलावा स्कूल आंगनबाड़ी में पेयजल की आपूर्ति को सुनिश्चित करना का भी प्रावधान है इस मिशन का उद्देश्य नल के पानी की कनेक्शन का लक्ष्य 2024 तक पूरे करने का है
भविष्य की नीति पर पेयजल
जिस प्रकार जल का स्तर घटता जा रहा है जो कि हमें नीति आयोग की रिपोर्ट से पता चलता है जिसकी पेयजल के संवर्धन में ध्यान देना होगा तत्पश्चात जलाशयों के निर्माण पर ध्यान देना अनिवार्य भविष्य में जल संवर्धन के लिए सरकार को नई नीतियों का क्रियान्वयन करना होगा क्योंकि जिस प्रकार जनसंख्या में वृद्धि हो रही है भविष्य में जल की मांग का वर्णन स्वभाविक है|
निष्कर्ष
लोगों में जल के महत्व के प्रति जागरूकता लाने की बहुत जरूरत है सरकार को सक्रिय नीति बनाने की जरूरत है जल संबंधी राष्ट्रीय कानून बनाए जाने की हो सकता है संवैधानिक तौर पर राज्य से संबंधित है लेकिन अभी तक किसी भी राजनीतिक कोई भी नहीं बनाया|
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